'उल्कापात' प्रस्तुत पुस्तक में द्वितीय महायुद्ध के बाद के राष्ट्रीय सामाजिक जीवन, स्त्री-पुरूष संबंधों, विघटित होते हुए मूल्यों, परिवार के विघटन, सामाजिक एवं बौद्धिक तनाव, यौनाचार आदि को विभिन्न कोणों और पाश्र्वों से देखा और व्यक्ति की गरिमा स्थापित करने की चेष्टा अपनी-अपनी अच्छी बुरी कहानियों में की है।