'सत्तर पार के शिखर' प्रस्तुत पुस्तक में रचनाकार का प्रमुख और चर्चित उपन्यास है। इस उपन्यास के माध्यम से समाज की रीढ की हड्डी रूपी मध्यवर्गीय सामाजिक व्यक्ति की मनोव्यथाओं को रेखांकन करने के साथ-साथ समाज के प्रत्येक पक्ष पर दृष्टि डाली है और पाठक-वर्ग की बंद पलकों को खोलकर समाज के यथार्थ का आईना दिखाया है।