महाकवि भास संस्कृत नाट्य-साहित्य के प्राचीनतम एवं प्रमुख नाट्यकार हैं । इनका समय 300-200 ईसा पूर्व के लगभग माना जाता है । भास के कुल त्रयोदश रूपक प्राप्त होते हैं - दूतघटोत्कच, कर्णभार, मध्यमव्यायोग, ऊरुभङ्ग, दूतवाक्य, पञ्चरात्र, बालचरित, अभिषेक, प्रतिज्ञायौगन्धरायण, अविमारक, प्रतिमा, स्वप्नवासवदत्तम् तथा चारुदत्त।