प्रस्तुत संकलन में संग्रहित निबंध अधिकारी विद्वानों द्वारा लिखे गए हैं। हिंदी साहित्य के इतिहास में इतिहास लेखकों द्वारा की गई राजस्थानी साहित्य की उपेक्षा पर असंतोष तथा विरोध तक प्रगट करते हुए निबंधों में राजस्थानी के पृथक अस्तित्व और उसके पृथक इतिहास पर बल दिया गया है।