'प्रतिनिधि कहानियाँ' प्रियंवद की इन कहानियों में प्रियंवद के कहानी-संग्रह ‘उस रात की वर्षा में और अन्य कहानियां’ की कथा-नायिकाएं अपनी देह को अपने अस्तित्व बोध का माध्यम बनाकर निःसंकोच भाव से जीती चली जाती हैं। प्रेम और देह के संबंध में विचार प्रकट करते हुए प्रियंवद कहते हैं “देह के साथ प्रेम हो यह जरूरी नहीं है मगर प्रेम के साथ देह का होना जरूरी है। बिना प्रेम के देह-संबंध बनाना बहुत आसान है। बाजार में लाखों संबंध रोज बनते हैं। वैसे प्रेम देह के बिना भी संभव है लेकिन उसकी संपूर्णता देह के साथ ही आती है।”