उपन्यास "और इंसान मर गया" निरदयी मनुष्य द्वारा सृजित भारत और पाकिस्तान की पैशाचिक प्रेतरूपी भयानक पीड़ा का चित्रण है, विभाजन के घाव लिए नायक आनंद और नायिका उषा मानवजाति को पशुओ से भी क्रूर स्तर पे देख कर, जीवन जीने और न्याय के लिए संगर्ष की निरारार्थकता जानके स्वछन्दता से अटारी बॉर्डर पर व्यास नदी में छलांग लगा देते है, ये उपन्यास उनकी विवसता का चित्रण है, की कैसे मृत्यु उनकी मानवता पे हावी हो गयी। "और इंसान मर गया" मूलतः उर्दू में लिखा गया था और बाद में रामानंद सागर जी ने स्वयं इसका हिंदी अनुवाद किया और तत्पचायत लेखक श्रीपद जोशी ने इसका मराठी अनुवाद "आणि मांसाचा मुर्दा पड़ला" किया|