'नव जागरण और साहित्य' 19 वीं सदी से नवजागरण का उत्थआन होता है किंतु इस विषय पर साहित्य भारतेंदु की लेखनी से अग्रसर होता है। 1857 की की महाक्रांति अपने तत्कालीन उदेदेश्य में सफल भले ही न हुई हो, किंतु उसके दूरगामी परिणाम कोे स्वीकार नहीं किया जा सकता, 19वीं शताब्दी के सांस्कृतिक आंदोलन, सामाजिक सुधारों की हलचल, राजनितिक संगठन का राष्ट्रीय चेतना के विकास में, किसी न किसी रूप में दिखाई देता है।