कृष्णकान्त की विल अर्थात कृष्णकान्त का वसीयतनामा की इस अनुपम शैली का अनूठा उदाहरण है उन का चर्चित सामाजिक उपन्यास 'कृष्णकांत का वसीयतनामा', जिस में एक ऐसी नारी की मार्मिक कथा है, जो अपने चचिया ससुर जमींदार कृष्णकांत के वसीयतनामे के मुताबिक उन की संपत्ति की मालकिन तो बन गई, किंतु फिर भी शेष जीवन पतिसुख न पा सकी-भले ही इस में उस के स्वाभिमान और अल्हड़पन का योगदान रहा हो।