'इति दुविधा कथा' सभी कहानियाँ दो विपरीत ध्रुवों के बीच एक क़िस्म की समन्वयता रखते हुए समानांतर रूप से आगे बढ़ती है। इन कहानियों के ज़रिए दारिद्य का जो रूप प्रकट होता है उसके पूछे लिजलिजी भावुकता और दया भावशाली लेखकीय निगाह नहीं, बल्कि यह जानना है कि वहाँ जीवन का मतलब यंत्रणा निगलते जाना है।