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लेखक : प्रो. राम कुमार

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य प्रचार, कलकत्ता

मूल : कोलकाता, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1922

भाषा : हिंदी

पृष्ठ : 126

सहयोगी : सरदार शहर पब्लिक लाइब्रेरी

बोल्शेविकों की करतूत

पुस्तक: परिचय

प्रोफेसर राम का यह उपन्यास ''बोल्शेविकों की करतूत'' यूरोपीय युद्ध की समाप्ति के बाद रूस में बोल्शेविकों के इतिहास और उनके द्वारा की गई क्रांति को समर्पित है। कैसे रूस में एक छोटा सा राजद्रोही दल जिसे निहिलिस्ट दल के नाम से जाना जाता था बोल्शेविकों में तब्दील हुआ और अपने लक्ष्य को निर्धारित कर क्रांति की पताका रूस में फहराई उपन्यास उसी कहानी की यात्रा रुचिकर ढंग से प्रस्तुत करता है। प्रोफेसर राम के अनुसार हिंदी भाषा में इस कहानी का यह प्रथम दस्तावेज है अर्थात यह कहानी पहले और भाषाओं में तो लिखी जा चुकी थी परंतु हिंदी में इसे लिखने काम प्रोफेसर राम ने किया है।

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