प्रभा खेतान का जन्म 1 नवम्बर 1942 को कोलकाता में हुआ। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा के अंतर्गत कोलकाता विश्विद्यालय से दर्शन शास्त्र में परास्नातक और ज्यां पॉल सार्त्र के अस्तित्ववाद पर अपनी पी.एच.डी पूरी की।
प्रभा खेतान उपन्यासकार, कवि और अपने नारीवादी विचारों के लिए जानी जाती हैं। हिंदी के परिदृश्य में सिमोन द बोउवार की 'द सेकंड सेक्स' के हिंदी अनुवाद 'स्त्री उपेक्षिता' से भारतीय स्त्रीवादी विमर्श में वह व्यापक रूप से चर्चित हुई है। स्त्री-विषयक मामलों में बेहद सक्रिय प्रभा खेतान ने 1966 में फिगुरेट नामक महिला स्वास्थ्य देखभाल संस्था की स्थापना भी की गई तथा साथ ही वह ‘प्रभा खेतान फाउंडेशन’ की संस्थापक-अध्यक्ष भी रहीं।
उनकी प्रकाशित कृतियों में उपन्यास: आओ पेपे घर चलें, पीली आँधी, अग्निसम्भवा, तालाबंदी, अपने-अपने चेहरे तथा चिंतन : ‘उपनिवेश में स्त्री’,‘सार्त्र का अस्तिववाद’,‘शब्दों का मसीहा: सार्त्र, ‘अल्बेयर कामू :वह पहला आदमी’ आदि उल्लेखनीय हैं।
उनके महत्वपूर्ण अनुवाद 'सांकलों में कैद कुछ क्षितिज़' (कुछ दक्षिण अफ्रीकी कविताएँ,) स्त्री : उपेक्षिता (सिमोन द बोउवार की विश्वप्रसिद्ध कृति द सेकंड सेक्स।
इसके अलावा उन्होंने ‘एक और पहचान : हंस का स्त्री विशेषांक’, ‘भूमंडलीकरण: पितृसत्ता के नए रूप’ का सम्पादन भी किया।
उनकी साहित्यिक सक्रियता और योगदान के लिए उन्हें केन्द्रीय हिंदी संस्थान आगरा द्वारा प्रतिभाली महिला पुरस्कार और शीर्ष व्यक्तित्व पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।
उनकी आत्मकथा अन्या से अनन्या (एक जीवन अलग) हिंदी के परिदृश्य में एक चर्चित कृति के रूप में शामिल है, जो इनके संघर्ष, आत्मबोध और वैचारिक यात्रा को प्रदर्शित करती हैं।
उनका निधन 20 सितंबर 2008 कोलकाता में हुआ।