भगवान देव चैतन्य का पहला कहानी संग्रह 'अपने-अपने इंद्रधनुष' (1996) शीर्षक से प्रकाशित है। प्रस्तुत संग्रह में उनकी तेरह कहानियां- बेआवाज चीख, सुशीला, मौसी, खंडहर होता हुआ, वापसी, परिवर्तन, सेंध, अनुताप, सडक़ पर, मर्द, उपलब्धि, हाशिए पर और कटे पंख संगृहीत हैं। संदर्भित संग्रह की कहानियों की संवेदना भूमि वैविध्यपूर्ण है।