Font by Mehr Nastaliq Web

लेखक : श्रीलाल शुक्ल

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी

मूल : वाराणसी, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1959

भाषा : हिंदी

पृष्ठ : 176

सहयोगी : सरदार शहर पब्लिक लाइब्रेरी

अंगद का पाँव

लेखक: परिचय

समादृत साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल का जन्म 31 दिसम्बर, 1925 को लखनऊ जनपद के अतरौली गाँव में हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद, वे राज्य लोकसेवा आयोग तथा बाद में भारतीय प्रशाशनिक सेवा के अंतर्गत विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सन् 1983 से सेवा-निवृत्त हुए।

श्रीलाल शुक्ल के लेखन की शुरुआत वर्ष 1958 में कहानियों और निबंध-संग्रह अंगद का पाँवके प्रकाशन से हुई । उनका पहला उपन्यास सूनी घाटी का सूरज वर्ष 1957 में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1970 में प्रकाशित, साहित्य अकादमी पुरस्कृत उनका अत्यंत प्रसिद्ध उपन्यास राग दरबारी’—हिंदी साहित्य के वर्तमान परिदृश्य में अत्यंत प्रासंगिक है तथा इसे आधुनिक क्लासिक्स का दर्जा प्राप्त है। स्वातंत्र्योत्तर भारतीय ग्रामीण जीवन की अत्यन्त तटस्थ एवं यर्थाथपरक पड़ताल करता उनका यह उपन्यास, पाठकों के बीच सबसे ज्यादा प्रासंगिक और सबसे ज्यादा चर्चित उपन्यास है।

 

इस उपन्यास के बारे में हिंदी के शीर्ष आलोचक नामवर सिंह ने कहा था : ‘स्वातंत्रयोत्तर भारतीय समाज को समझने के लिए जिन रचनाकारों ने अपने तर्क निर्मित किए हैं, उनमें श्रीलाल शुक्ल का महत्त्व अद्वितीय है। विलक्षण गद्यकार श्रीलाल शुक्ल वस्तुतः हमारे समय का विदग्ध भाष्य रचते हैं। उनकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि वह जटिल और संश्लिष्ट जीवन के प्रति पूर्ण सचेत दिखते हैं। उनका लेखन किसी आन्दोलन या विचारधारा से प्रभावित नहीं रहा, वह भारतीय समाज के आलोचनात्मक परीक्षण का रचनात्मक परिणाम है। राग दरबारी उनकी ऐसी अमर कृति है जिसने हिन्दी रचनाशीलता को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सुयश दिलाया।’ 

 

श्रीलाल शुक्ल ने स्वातंत्र्योतर उपन्यास साहित्य में अपने व्यंग्य लेखन शैली से एक नवीन स्थापना के रूप में उपन्यास की परंपरा में ख़ुद को अलग ढंग से स्थापित किया। उन्होंने पाठकों के लिए एक नई औपन्यासिक अभिरूचि पैदा की तथा उपन्यास साहित्य और व्यंग साहित्य को अधिक विकसित भी किया।

 

उनके प्रसिद्ध उन्यास राग-दरबारी का अनुवाद अँग्रेजी एवं सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में तथा, पहला पड़ाव (अँग्रेजी), मकान (बांग्ला), बब्बर सिंह और उसके साथी (अँग्रेजी) में हुआ है।

 

श्रीलाल शुक्ल की प्रमुख कृतियाँ हैं

 :
उपन्यास : सूनी घाटी का सूरज(1957), अज्ञातवास(1962), राग दरबारी(1968), आदमी का जहर(1972), सीमाएँ टूटती हैं(1973), मकान(1976), 1987(पहला पड़ाव), विस्रामपुर का संत(1998), बब्बर सिंह और उसके साथी(1999), राग-विराग(2001)

 

दस प्रतिनिधि कहानियाँ(2003) 

 व्यंग्य-संग्रह

अंगद का पाँव(1958), यहाँ से वहाँ(1970), मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ(1979), उमरावनगर में कुछ दिन(1986), कुछ जमीन पर कुछ हवा में(1990), आओ बैठ लें कुछ देर(1995), अगली शताब्दी का शहर(1996), जहालत के पचास साल(2003), ख़बरों की जुगाली(2005)

 

आलोचना

अज्ञेय : कुछ रंग, कुछ राग(1999)

 

विनिबंध

भगवती चरण वर्मा(1989), अमृतलाल नागर(1994)

 

सम्पादन

हिन्दी हास्य-व्यंग्य संकलन(2000)

 

साक्षात्कार

मेरे साक्षात्कार(2002)

 

 

विनिबंध :

भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर।

 



श्रीलाल शुक्ल को हिंदी साहित्य में उनके अवदान के लिए विभिन्न पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया:  साहित्य अकादेमी पुरस्कार, साहित्य भूषण सम्मान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का गोयल साहित्य पुरस्कार, लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान, म.प्र. शासन का शरद जोशी सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, व्यास सम्मान,
पद्म भूषण सम्मान।

 

28 अक्टूबर 2011 को लंबी बीमारी के बाद लखनऊ में उनका निधन हो गया

 

 

 

 

 

.....और पढ़िए