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होत जगत में सुजन कौं

hot jagat mein sujan kaun

मतिराम

मतिराम

होत जगत में सुजन कौं

मतिराम

और अधिकमतिराम

    होत जगत में सुजन कौं, दुरजन रोकनहार।

    केतकि कमल गुलाब के, कंटक मय परिहार॥

    सज्जनों को रोकने के लिए इस संसार में हर जगह दुष्ट घेरे रहते हैं, जैसे कि कमल, केवड़ा और गुलाब के कांटे उन्हें चारों ओर से घेरे रहते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पुष्प-पराग (पृष्ठ 236)
    • संपादक : टेकचंद शास्त्री
    • रचनाकार : मतिराम
    • प्रकाशन : भारती सदन, दिल्ली
    • संस्करण : 1955

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