चर्यापद
सहज सिद्धों द्वारा 'संधा' या 'संध्या' भाषा में कहे गए उपदेशात्मक पद। 'चर्या' का संबंध आचरण से है। मनुष्य के व्यवहार में आचरणीय कर्मों का वर्णन और उपदेश चर्यापद के मूल में है।
समय : 10वीं सदी। चर्पटीनाथ के शिष्य और बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा के महत्त्वपूर्ण कवि।
सिद्ध कवि। समय : 840 ई. के आस-पास। पौराणिक रूढ़ियों और उनमें फैले भ्रमों के विरुद्ध।