सरदार पूर्ण सिंह के निबंध
पवित्रता
अनेक सूर्य आकाश के महामंडल में घूम रहे हैं, अनंत ज्योति इधर-उधर और हर जगह बिखर रहे हैं। सफ़ेद सूर्य, पीले सूर्य, नीले सूर्य और लाल सूर्य, किसी के प्रेम में अपने-अपने घरों में दीपमाला कर रहे हैं समस्त संसार का रोम-रोम अग्नियों की अग्नि से प्रज्वलित हो
कन्यादान
धन्य हैं वे नयन जो कभी-कभी प्रेम-नीर से भर आते हैं। प्रति दिन गंगा-जल में तो स्नान होता हो है परंतु जिस पुरुष ने नयनों की प्रेम-धारा में कभी स्नान किया है वही जानता है कि इस स्नान से मन के मलिनभाव किस तरह बह जाते हैं; अंतःकरण कैसे पुष्प की तरह खिल जाता
सच्ची वीरता
सच्चे वीर पुरुष धीर-गंभीर और आज़ाद होते हैं। उनके मन की गंभीरता और शांति समुद्र की तरह विशाल और गहरी, या आकाश की तरह स्थिर और अचल होती है। वे कभी चंचल नहीं होते। रामायण में वाल्मीकिजी ने कुंभकर्ण की गाढ़ी नींद में वीरता का एक चिह्न दिखलाया है।