दीवार
उन्होंने हमें एक बड़े सफ़ेद कमरे में धकेल दिया था। मेरी आँखें चौंधियाने लगी थीं, क्योंकि वहाँ का प्रकाश आँखों को चुभ रहा था। तभी मेरी नज़र एक मेज़ पर पड़ी। उसके पीछे चार आदमी बैठे काग़ज़ों को देख रहे थे, वे सैनिक नहीं दिख रहे थे। क़ैदियों का एक जत्था पीछे