नीलामी
जिन दिनों की यह घटना है, उन दिनों रूस में आज जैसी ही सामाजिक परिस्थितियाँ थीं और छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ बन जाया करता था। एक दिन किसी बड़े शहर में एक अफ़वाह फैली कि एक नौजवान अपने-आपको नीलामी पर चढ़ा रहा है।
नीलामी वाले दिन लोगों की भीड़ शहर से निकलकर