विश्वास

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बद्री नारायण

और अधिकबद्री नारायण

    मैं नश्वर हूँ

    पर मुझसे भी नश्वर है मेरी किताब

    जिसे मैं इतनी लगन से लिखता हूँ

    मैं नश्वर हूँ

    पर मुझसे कम नश्वर नहीं हैं

    अलबम में रखे मेरे ये फ़ोटोग्राफ

    मुझ नश्वर की

    और भी ज़्यादा नश्वर हैं ये डायरियाँ

    जो इतने सालों में लिखी गई हैं

    और कितना क्षणभंगुर है मेरा यह विश्वास

    कि इन्हें लेकर मैं काल के पार जाऊँगा

    अपने जीवन में ही बनवा लेता हूँ अपनी प्रतिमाएँ

    तरह-तरह की बनी

    मेरी ये प्रतिमाएँ

    कम नश्वर नहीं हैं

    जो पुण्य तिथियों के बाद ही बिसरा दी जाती हैं

    चिट्ठियाँ जो मैं लिखता हूँ

    वे तो और भी क्षणभंगुर हैं

    जो वर्ष के अंत में

    माचिस की तीलियों से जला दी जाती हैं

    जो भी उपहार मैं देता हूँ

    कुछ दिनों मे टूट जाते हैं

    उपहार की उम्र है एक साल

    शुभकामनाओं के दिन चार

    मेरे पास जो भी हैं

    स्थावर, अक्षर, अक्षुण्ण

    जिनहें मैं कालातीत साबित करने में

    जुटा रहता हूँ

    वे बर्फ़ के गोले की तरह

    धीरे-धीरे विलीन हो जाते हैं।

    कोई कहता है

    शब्द अमर है

    पर मैं अपने शब्दों पर कैसे करूँ विश्वास

    जो दो बूँद जल में ही गल जाते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : शब्दपदीयम् (पृष्ठ 9)
    • रचनाकार : बद्री नारायण
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

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