दो बारिशों के बीच
समय को नापने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है
कि दो बारिश के मौसमों के बीच की दूरी को नापा जाए
दो सर्दियों में या दो गर्मियों के मौसम
भी ठीक हैं इसके लिए
वैसे समय को नापने के कुछ ख़राब तरीक़े भी हैं
मसलन—उम्र
दो बारिशों के बीच कोई जगह ऐसी होती है
जहाँ पिछली सारी बारिशों की स्मृतियों
के अर्थ बदल जाते हैं
उस जगह पिछली बारिश में उगी झाड़ियों
पर फूल खिलने लगते हैं
दो बारिशों के बीच अक्सर होता है
एक धूप का टुकड़ा कहीं
हमारे सपनों का रंग बदलता हुआ
जैसे गेहूँ पकता है धूप का सुनहरा रंग
सोखता हुआ
जहाँ गेहूँ पकता है दो बारिशों के बीच
ठीक उसके बग़ल में एक नदी बहती है
गहरे नीले रंग का पानी लिए पारदर्शी
नदी में होता है पानी पिछली बारिश का
अगली बारिश का इंतज़ार करता हुआ
इस वक़्त तक पिछली बारिश की थकान और उदासी
पानी की तली पर स्पष्ट दिखाई देने लगती है
इसी लिए मैं कहता हूँ कि एक और बारिश होती है
दो बारिशों के बीच
लगातार होती इस बारिश को देखा जा सकता है
यदि यकायक तुम खोलो कोई प्रिय किताब
पसीने से गंधाते किसी दोस्त के साथ बीड़ी पियो
किताब के शब्दों और तुम्हारे बीच
दोस्त और तुम्हारे बीच
इस बारिश की आवाज़ सुनाई देगी
दो बारिशों के बीच अनंत कोलाहल है वहीं
कुछ चुपचाप क्षण दुबके रहते हैं घास में
इन्हें ध्यान और सावधानी से छुओ
इन्हीं सुनसान जगहों पर कई पक्षियों के शव
मिलते हैं कितने उज़डे मकान
दो बारिशों के बीच कितना बड़ा हो जाता है आदमी
यों दो बारिशों के बीच इतनी-सी जगह
कि एक छोटी-सी कविता रख दें
अँट न पाए
यों सारी उम्र बिता दें
दो बारिशों के बीच तो भी कम पड़े।
- पुस्तक : दो बारिशों के बीच (पृष्ठ 26)
- रचनाकार : राजेंद्र धोड़पकर
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 1996
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