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भाव-भेद

bhaav bhed

विवेकानन्द ठाकुर

अन्य

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और अधिकविवेकानन्द ठाकुर

    चिलका चिलकामे विभेद

    ओइ चिलकाउरकेँ नहि बूझल

    इनार पर जकर दूध कनकनाइये

    आँगनमे जकर चिलका लोहछैये

    भरल घैल

    एकटा माथपर

    दोसर डाँड़पर

    दलकैत दुनू छातीसँ

    चुबैत दूध ठोपे-ठोप

    आँचर सिमसिम

    आँगनमे चिलकाउरक आगम

    चिलकाकेँ अभरै छै

    दुधाह आँचरक सुगंधि लगै छै

    कने हँसैये

    कने ठुनकैये

    कने छिड़िअबैये दुलार

    सभक मिश्रित ध्वनिकेँ

    कहै छै बिरोग

    चिलकाउर शरीरमे

    जेना संजीवनीक जोग

    ओकर हृदय आनन्दसँ भरै छै

    ओकर सभ हरारति हहरै छै

    हुलसिकेँ चिलकाकेँ

    कोरमे सुतओने

    सिमसिम आँचरक

    ओहार बनओने

    असीम आवेशसँ

    छाती धरबैये

    चिहुटिकऽ छाती धेने चिलका

    हिचुकि-हिचुकि दूध पिबैये

    तीनू भुवनक सुख चिलकाउरकेँ भेटैये

    चिलका चिलकामे भेद

    ने चिलकाउरक कोखि बुझलक

    ने बुझैये ओकर कोर

    नहि अछि

    ओइ गामक लोक

    जकरा कन्या-मुख देखि

    उठै छै अगियारी

    जे चलबैये अगिनबान

    बनबैये

    कोखिकेँ कठियारी

    स्रोत :
    • पुस्तक : चानन घन गछिया (पृष्ठ 153)
    • रचनाकार : विवेकानन्द ठाकुर
    • प्रकाशन : विवेकानन्द ठाकुर
    • संस्करण : 2011

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