दुष्टमित्र

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रवि भूषण पाठक

रवि भूषण पाठक

दुष्टमित्र

रवि भूषण पाठक

और अधिकरवि भूषण पाठक

    प्लास्टिक की तरह होते हैं दुष्टमित्र

    इतने सजीले, रंगीले, इतने नरम-मुलायम

    इतने रूपाकार, इतना आयतन

    कि आप सारे विकल्प खो देते हैं

    दुष्टमित्र तीन हज़ार साल जीते हैं

    हज़ार साल लगकर सोखते हैं आपकी हरीतिमा

    आपकी हवा और धूप रोक कर

    ज़मीन और नमी छीन कर

    सभ्यता के दस परत नीचे

    आपका किया जाता है संरक्षण

    फिर वे समुद्रों में लभरकर चिपक जाते हैं आपसे

    ज़मीन में मिलकर आपसे रोक देते हैं

    आपको मिट्टी बनने से

    स्वर्ग के रास्ते में आपके पैरों में फँस जाते हैं

    नर्क का सारा सौंदर्य, सारा शिल्प तो उनका है ही

    आगे के हज़ार साल आपकी आत्मा‍ उनकी खोल में बंद रहती है

    उन्हीं के गाँठकौशल में क़ैद—

    यश के लिए छटपटाती, भीख माँगती।

    स्रोत :
    • रचनाकार : रवि भूषण पाठक
    • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

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