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दयाराम बा

dayaram ba

विष्णु नागर

अन्य

अन्य

विष्णु नागर

दयाराम बा

विष्णु नागर

और अधिकविष्णु नागर

    जब दयाराम बा के दाहिने पैर का जूता खो जाता

    तो वह इंदिरा गांधी को गाली देने लगते

    उन्हें पता नहीं था इंदिरा गाँधी देश की प्रधानमंत्री हैं

    और उन्होंने तो क्या उनकी सात पुश्तों ने भी

    जूते जैसी छोटी चीज़ चुराने का काम क्या किया होगा

    बार-बार कोई क्या गाली दे

    इसलिए वह नंगे पैर ही घूमने लगे

    उन्होंने सोचा अब मेरा कोई क्या उखाड़ लेगा

    मेरे पैर में जूता ही नहीं है

    कोई पैर तो काट कर नहीं ही ले जाएगा

    वह सोचते हैं कि देखते-देखते

    उनकी टोपी उड़कर आम की डाल पर बैठ जाती है

    और कूकने लगती है—

    'दयाराम बा दयाराम बा

    नंगे रहो और करो मज़ा'

    फिर कुर्ता उड़ जाता है

    धोती भी नहीं ठहरती और उड़ जाती है

    अब तो दयाराम बा को शर्म ही जाती है

    क्या करें, क्या करें के सोच में पड़कर

    वह सार्वजनिक शौचालय में घुस जाते हैं

    कोई-कोई सोचता है कि नंगे आदमी के

    सार्वजनिक शौचालय में

    घुस जाने के पीछे भी षड्यंत्र है

    षड्यंत्र को पुलिस नहीं दबा सकती

    इसलिए सेना आती है

    और सेना भी बड़ी मज़ेदार

    पूछो पानी पियोगे, तो दनाक से गोली मार दे

    आख़िर दयाराम बा भी मारे गए

    मगर पछतावा हुआ बेचारी सेना को

    क्यों बुलाया, क्यों बुलाया सेना को

    अगर एक ही आदमी को मारना था।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विष्णु नागर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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