बदले वक़्त के मापक यंत्र

badle waqt ke mapak yantr

हरि मृदुल

हरि मृदुल

बदले वक़्त के मापक यंत्र

हरि मृदुल

और अधिकहरि मृदुल

    यह दसियों जेब लगा हुआ

    लंबा जाँघिया जैसा कुछ पहना

    अधेड़ आदमी

    नुक्कड़ की दुकान से लौटा है

    कि दिल्ली से?

    उसके एक हाथ में क़ीमती बैग है

    दूसरे में पहियोंवाली अटैची

    उसकी दाढ़ी बढ़ी हुई है

    आँखें सूजी हुई हैं

    बाल बिखरे हुए हैं

    बीमार जैसा लगता है

    लगता ही नहीं कि वह कहीं से

    रहा है

    लेकिन सच यही है कि

    वह रहा है

    कल वह इसी वेशभूषा में लंदन जाएगा

    कुछ दिनों के बाद न्यूयॉर्क

    तब उसके दसियों जेब लगे जाँघिए यानी बरमूडे का रंग

    बदल जाएगा

    उसकी टी-शर्ट अलग पैटर्न की हो जाएगी

    एक बार फिर वह नमूना लगने लगेगा

    तुम उसे देखकर फिर से विस्मय से भर जाओगे

    तुम्हें हँसी आएगी

    लेकिन हँस नहीं पाओगे

    उसका विकर्षण तुम्हें बहुत दूर फेंक देगा

    तब तुम सोचने लगोगे कि इतने बड़े आदमी तो पहले

    कोट और टाई में ही पाए जाते थे

    आख़िर अब यह कैसा ज़माना चुका है?

    तो भौंचक भोले आदमी तुम्हें

    बताए देते हैं कि

    अब टाई और कोट तो सेल्समैन

    पहनते हैं

    कंपनियों के सीईओ तक दुनिया जहान में

    बस ऐसे ही हाफ़ पैंट पहनकर घूमते हैं

    तेज़ी से वक़्त बदला है इस बीच

    इस बदले वक़्त के मापक यंत्र

    जाँघिए, बनियान, टी-शर्ट, जींस, हाफ़ पैंट

    जूते, चप्पल, मोज़े, तौलिए, रूमाल इत्यादि बन चुके हैं

    जी हाँ, तुम जो तलवार की धार-सी क्रीज़ वाली पैंट पहनकर

    छैला बनने की कोशिश कर रहे हो

    बहुत ही हास्यास्पद है

    तुम अपनी खुली हुई आँखें और ज़्यादा खोलो

    तुम अपने तेज़ कान और तेज़ करो

    तुम अपनी शार्पनेस और शार्प करो

    तब तुम इन अजब-ग़ज़ब नज़ारों को सचमुच

    देख पाओगे और थोड़ा-बहुत समझ भी जाओगे

    यह सदी तेज़ी से बदल रही है भई

    तुम हो कि अभी तक मूर्खताओं के मानक बने हुए हो!!

    स्रोत :
    • रचनाकार : हरि मृदुल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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