Font by Mehr Nastaliq Web

तोहरी नानी के हाँड़े मा

tohri nani ke hanDe ma

आद्या प्रसाद 'उन्मत्त'

अन्य

अन्य

आद्या प्रसाद 'उन्मत्त'

तोहरी नानी के हाँड़े मा

आद्या प्रसाद 'उन्मत्त'

और अधिकआद्या प्रसाद 'उन्मत्त'

    कबहूँ मस्जिद कबहूँ मंदिर कबहूँ गुरुद्वारा कै बवाल,

    हर परब तीज तिउहारे मा मनई मुरगा अस भै हलाल।

    चाल ढाल झंडा नारा तोहका दुसरेन से मोह अहै

    आपन पुरखा आपन धरती तोहका अपनेन से द्रोह अहै।

    सुख पाया अपनी धरती पै दुसरे का झंडा गाड़े मा।

    तोहरी नानी के हाँड़े मा।

    तू आला अपसर बना आजु घरवै मूसै मा तेज अहा,

    अँगरेज चला गे देसवा से तू बना अबौ अँगरेज अहा।

    सुख चैन पाया जुटै कभौ अपनी धरती महतारी कै

    एसी निरबंसै भले रही अस जनम्या बूत बेचारी कै।

    तू खूब उड़ाया गुलछर्रा अब तक ओहदा के आड़े मा।

    तोहरी नानी के हाँड़े मा।

    तू धूर आँख मा झोंकि-झोंकि धन दुइनौ हाथ बटोर्या है,

    पेट देस का काटि-काटि अपने खाता मा जोर्या है।

    तू कसम खाइ के घाट किंया कम तौल्या सोझै काँटा मा

    तू किह्या मिलावट तेल मसाला नमक दवाई आँटा मा।

    तू बड़का साहूकार बना जहर मिलावा खाड़े मा।

    तोहरी नानी के हाँड़े मा।

    दुनिया कै गटई काटि-काटि आपन भंडार भरत बाट्या,

    तू बिना सूड़ कै हाथी सब सबकै सुख चैन चरत बाट्या।

    बस आपन मतलब गाँठे मा, केउ कै दुख दरद जान्या तू,

    दुनिया देतै रह्या दगा बस आपन विरद बखान्या तू।

    मूड़े धै राजा बेनु गए तू धरती बँधब्या फाँड़े मा।

    तोहरी नानी के हाँड़े मा।

    तू सेवक बनि के सपथ लिह्या कुरसी पाया तौ भूलि गया,

    गाँधी कै चेला बना रह्या दारू पीके झूलि गया।

    हमरै जनमा, हमहीं का बारा डेढ़े आठ पढ़ावा थ्या

    परदा मा नंगा नाच करा बहिरे जन गन मन गावा थ्या।

    तू बदला दिन मा पाँच सूट हम ढाँकी लाज कछाड़े मा।

    तोहरी नानी के हाँड़े मा।

    हम सीत घाम बरखा झेली तू मस्त परा रँगरेली मा,

    टपटप टपकै मड़ई हमार तू मारा मौज हबेली मा।

    हम खेते मा दिन रात खटी तू सैर करा मंसूरी कै

    हम होमी आपन जिउ परान तू जेवरी बनवा धूरी कै।

    तू तौ अकास मा उड़त फिरा हम अँटकी मेड़े डाँड़े मा।

    तोहरी नानी के हाँड़े मा।

    दै अँगरेजन के साथ देस के साथ किया गद्दारी तू,

    हमरी देहीं के खून चूसि ठठरी पर किह्या सवारी तू।

    जब आजादी कै लहर उठी तौ ओहमा टाँग अड़ाया है

    अब भवा देस आजाद आजु गद्दी हथियावै आया है।

    अबकी देबै भूसी छोड़ाइ, उतरा तौ तनी अखाड़े मा।

    तोहरी नानी के हाँड़े मा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : माटी औ महतारी (पृष्ठ 52)
    • रचनाकार : आद्या प्रसाद 'उन्मत्त'
    • प्रकाशन : अवधी अकादमी

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY