बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

नाऊन चाची जो ग़ायब हो गईं

 

वह सावन की कोई दुपहरी थी। मैं अपने पैतृक आवास की छत पर चाय का प्याला थामे सड़क पर आते-जाते लोगों और गाड़ियों के कोलाहल को देख रही थी। मैं सोच ही रही थी कि बहुत दिन हो गए, नाऊन चाची की कोई खोज-ख़बर नहीं म

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25 अप्रैल 2024

आज का उद्धरण

कवि कह गया है

adami ke vichar tezi se badal rahe the. lekin unki tezi se raddipan ikaththa ho raha tha. raddipan der tak taza rahega. achchhai turant saD jati thi.

adami ke vichar tezi se badal rahe the. lekin unki tezi se raddipan ikaththa ho raha tha. raddipan der tak taza rahega. achchhai turant saD jati thi.

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Tushar dhawal

सुपरिचित कवि-अनुवादक। चित्रकला, फ़ोटोग्राफ़ी और अभिनय से भी जुड़ाव।

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