परिवार पर बेला
परिवार संबंध और ‘इमोशन’
का समूह है। इस चयन में परिवार मूल शब्द का कविता-प्रसंगों में इस्तेमाल करती अभिव्यक्तियों का संकलन किया गया है।
वालिद के नाम एक ख़त
प्यारे अब्बा! मैं जानता हूँ कि मैं इस तहरीर के पहले लफ़्ज़ को आपको पुकारने के लिए इस्तेमाल करने के लायक़ नहीं हूँ। मैं यह भी जानता हूँ कि मैंने होश सँभालने से लेकर अब तक आपको सिर्फ़ दुख पहुँचाया ह
08 मई 2024
रवींद्रनाथ ने कहा है कि...
हमारे गाँव में और कुछ हो या न हो, कुछ मिले न मिले... पर रवींद्रनाथ थे। वह थे और वह पूरी तरह से घर के आदमी थे। घरवाले वही होते हैं जिन्हें देखकर भी हम अनदेखा करते हैं, जिन्हें सोचकर भी हम नहीं सोचते य
पिता के बारे में
पिता का जाना पिता के जाने जैसा ही होता है, जबकि यह पता होता है कि सभी को एक दिन जाना ही होता है फिर भी ख़ाली जगह भरने हम सब दौड़ते हैं—अपनी-अपनी जगहों को ख़ाली कर एक दूसरी ख़ाली जगह को देखने। वह जगह
नाऊन चाची जो ग़ायब हो गईं
वह सावन की कोई दुपहरी थी। मैं अपने पैतृक आवास की छत पर चाय का प्याला थामे सड़क पर आते-जाते लोगों और गाड़ियों के कोलाहल को देख रही थी। मैं सोच ही रही थी कि बहुत दिन हो गए, नाऊन चाची की कोई खोज-ख़बर नहीं
'जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी'
छतों पर ठट का ठट जमा है, शाम हल्की शफ़क़ में डूबी आसमान पर लहरों के साथ किसी बच्चे की तरह अटखेलियाँ करती मुस्कुरा रही है। अभी सूरज डूबने में वक़्त है, मगर टोपियाँ, दुपट्टे नुमूदार हो रहे हैं। आख़िरी इफ़्