कहानियाँ

कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।

1932

समादृत कथाकार। 'कोसी का घटवार' कहानी के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय।

1931 -1991

समादृत लेखक और व्यंग्यकार।

1953

समादृत कहानीकार। छह कहानी-संग्रह प्रकाशित।

1975 -2020

सुपरिचित कथाकार। दो कहानी-संग्रह प्रकाशित। भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित।

1933 -1995

समादृत कथाकार, अनुवादक और संपादक। ‘काला जल’ उपन्यास के लिए चिर स्मरणीय।

1950

सुप्रसिद्ध कथाकार-उपन्यासकार। ग्रामीण जीवन के विश्वसनीय कथाकार के रूप में उल्लेखनीय।

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