कहानियाँ

कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।

1967

सुपरिचित कहानीकार-अनुवादक। चार कहानी-संग्रह प्रकाशित।

1926 -2013

हिंदी-राजस्थानी के समादृत कथाकार। साहित्य-अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

1899 -1945

प्रेमचंद परंपरा के प्रमुख कथाकार और व्यंग्यकार। समाज-केंद्रित साहित्य के लिए उल्लेखनीय।

1950

आठवें दशक के प्रमुख कवि-लेखक और संपादक। व्यंग्य में भी उल्लेखनीय योगदान।

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