कहानियाँ

कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।

1948 -2021

सुप्रसिद्ध कथाकार। उपन्यास 'सूखा बरगद' के लिए लोकप्रिय। पद्म पुरस्कार से सम्मानित।

1944

समादृत कथाकार। गद्य की कई विधाओं में सृजनरत। कई पुस्तकें प्रकाशित।

1931 -2021

‘नई कहानी’ की स्त्री-त्रयी की समादृत कथाकार। ‘आपका बंटी’ के लिए बहुप्रशंसित।

1967

इस सदी में सामने आईं हिंदी की प्रमुख कथाकार। समय-समय पर काव्य-लेखन भी।

1977

सुपरिचित कथाकार-कवि। चार पुस्तकें प्रकाशित।

1963

सुपरिचित कथाकार-निबंधकार।

1933 -2006

आधुनिक हिंदी-साहित्य के प्रमुख कथाकार। पटकथा-लेखक। गद्य की कई विधाओं के लिए लोकप्रिय। 'दिनमान' और 'साप्ताहिक हिंदुस्तान' के संपादक के रूप में समादृत।

1940

समादृत साहित्यकार। हिंदी कथा-साहित्य में 'बेघर', 'दुक्खम सुक्खम', 'कल्चर वल्चर' उपन्यास के लिए लोकप्रिय।

1948

समादृत कथाकार। गद्य की कई विधाओं में सृजनरत। कई पुस्तकें प्रकाशित।

1907 -1987

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। कविता के साथ-साथ अपने रेखाचित्रों के लिए भी प्रसिद्ध। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

1871 -1926

पूर्व प्रेमचंद युग के साहित्यकार-पत्रकार। हिंदी की पहली कहानी के रूप में मान्य ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ के लिए उल्लेखनीय।

1925 -1972

नई कहानी दौर के प्रसिद्ध कथाकार। नाट्य-लेखन के लिए भी प्रख्यात। संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित।

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