सवैया

वर्णिक छंद। चार चरण। प्रत्येक चरण में बाईस से लेकर छब्बीस तक वर्ण होते हैं।

रीतिकालीन कवि। काव्य-कला में निपुण। छंदशास्त्र के विशद निरूपण के लिए स्मरणीय।

संत यारी के शिष्य। आध्यात्मिक अनुभव को सरल भाषा में प्रस्तुत करने वाले अलक्षित संत-कवि।

1719 -1798

श्री रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक। वाणी में प्रखर तेज। महती साधना, अनुभूति की स्वच्छता और भावों की सहज गरिमा के संत कवि।

भरतपुर नरेश सुजानसिंह के आश्रित कवि। काव्य में वर्णन-विस्तार और शब्दनाद के लिए स्मरणीय।

रीतिकालीन अलक्षित कवि। रीति ग्रंथ 'सुंदर शृंगार' विशेष उल्लेखनीय।

1596 -1689

दादूदयाल के प्रमुख शिष्यों में से एक। अद्वैत वेदांती और संत कवियों में सबसे शिक्षित कवि।

1734

भक्त कवि नागरीदास की बहन। चलती हुई सरल भाषा में भक्ति और वीर काव्य की रचयिता।

प्राचीन काव्य के ख्यातिप्राप्त टीकाकार और अलक्षित कवि।

'निंबार्क संप्रदाय' के आचार्य बिहारीदास के शिष्य। सत्रहवीं सदी में वर्तमान।

1875

परंपरागत आदर्श पर विशेष बल देने वाली भारतेंदु युग की कवयित्री।

1815 -1881

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

रीतिकालीन अलक्षित कवि। महाभारत के पद्यानुवादक।

रीतिकाल के आचार्य कवियों में से एक। भरतपुर नरेश प्रतापसिंह के आश्रित। भावुक, सहृदय और विषय को स्पष्ट करने में कुशल कवि।

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