हत्यारों की वापसी
रात के बारह बज रहे हैं। तेगा, सिगू और गनपत दबे पाँव आगे बढ़े जा रहे हैं। वे शहर की उस मुख्य सड़क को पार कर चुके हैं, जो रात-भर चलती रहती है। वे शहर के उन स्थानों और मुहल्लों को लाँघ चुके हैं, जहाँ रात होती ही नहीं—बिजली की दूधिया रोशनी और सरगर्मी बनी