निरखत अंक स्यामसुंदर के

nirkhat ank syamsundar ke

सूरदास

सूरदास

निरखत अंक स्यामसुंदर के

सूरदास

और अधिकसूरदास

    निरखत अंक स्यामसुंदर के बारबार लावति छाती।

    लोचन-जल कागद-मसि मिलि कै ह्वै गई स्याम स्याम की पाती॥

    गोकुल बसत संग गिरिधर के कबहुँ बयारि लगी नहिं ताती।

    तब की कथा कहा कहौं, ऊधो, जब हम बेनुनाद सुनि जाती॥

    हरि के लाड़ गनति नहि काहू निसिदिन सुदिन रासरसमाती।

    प्राननाथ तुम कब धौं मिलोगे सूरदास प्रभु बालसँघाती॥

    गोपियाँ उद्धव द्वारा श्रीकृष्ण के पत्र को प्राप्त करके, उनके लिखे अक्षरों को देख-देखकर पत्र को बार-बार अपनी छाती से लगा लेती हैं। पत्र को देखते ही उनके नेत्रों से सात्विक अनुभाव के कारण प्रेमाश्रु प्रवाहित होने लगे−इससे काग़ज़ की स्याही आँसुओं के मिल जाने से फैल गई है और श्रीकृष्ण का पत्र श्यामवर्ण हो गया। वे सब उद्धव से कहने लगीं, हे उद्धव, जब श्याम सुंदर गोकुल में रहते थे तो उनके साथ हम लोगों को कभी भी गर्म हवा नहीं लगी (कभी भी दु:ख का अनुभव नहीं किया) और उस समय की चर्चा तुमसे क्या करें जब हम सब अपने-अपने घर के कार्यों की परवाह करके उनकी मधुर वंशी-ध्वनि को सुन कर दौड़ पड़ती थीं। श्रीकृष्ण के प्रेम में दीवानी हम सब किसी को कुछ नहीं समझती थीं और रात-दिन हम सब रास के आनंद में उन्मत्त रहा करती थीं। सूरदास कहते हैं कि गोपियाँ इतना कहते-कहते अत्यंत भाव-विभोर हो उठीं और कहने लगीं कि हे बचपन के साथी श्रीकृष्ण अब कब तुम्हारे दर्शन होंगे?

    स्रोत :
    • पुस्तक : भ्ररमरगीत सार (पृष्ठ 81)
    • रचनाकार : आचार्य रामचंद्र शुुक्ल
    • प्रकाशन : लोकभारती
    • संस्करण : 2008

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए