ब्रज सम और कोउ नहिं धाम

braj sam aur kou nahin dham

नागरीदास

नागरीदास

ब्रज सम और कोउ नहिं धाम

नागरीदास

और अधिकनागरीदास

    ब्रज सम और कोउ नहिं धाम।

    या ब्रज में परमेसुरहूँ, के सुधरे सुंदर नाम॥

    कृष्ण नाँव यह सुन्यो गर्ग ते, कान्ह-कान्ह कहि बोलैं।

    बाल-केलि-रस-मगन भये सब, आनन्द-सिन्धु-कलोलैं॥

    जसुदानंदन दामोदर, नवनीत-प्रिय, दधिचोर।

    चोर-चोर, चित-चोर, चिकनिया, चातुर नवलकिसोर॥

    राधा-चंद-चकोर-साँवरो, गोकुलचन्द, दधिदानी।

    श्रीबृन्दाबन-चंद चतुर चित, प्रेमरूप अभिमानी॥

    राधारमन, सु राधावल्लभ, राधाकांत रसाल।

    वल्लभ-सुत,गोपीजन-वल्लभ गिरिवर-धर, छबि-जाल॥

    रासबिहारी, रसिकबिहारी, कुंजबिहारी, स्याम।

    विपिनबिहारी बंकबिहारी', अटलबिहारऽभिराम॥

    छैलबिहारी, लालबिहारी, बनवारी, रसकन्द।

    गोपीनाथ, मदनमोहन, पुनि बंसीधर, गोविन्द॥

    ब्रजलोचन, ब्रजरमन, मनोहर, ब्रजउत्सव, ब्रजनाथ।

    ब्रजजीवन, ब्रजवल्लभ सबके, ब्रजकिशोर सुभगाथ॥

    ब्रजभूषण, ब्रजमोहन, सोहन, ब्रजनायक ब्रजचंद।

    ब्रजनागर, ब्रजछैल, छबीले, ब्रजवर श्रीनंदनंद॥

    ब्रज-आनंद, ब्रजदूलह, नितही, अति सुंदर ब्रजलाल।

    ब्रज-गउवन के पाछै आछै, सोहत ब्रजगोपाल॥

    ब्रज-संबंधी नाम लेत ये, ब्रज की लीला गाव।

    ‘नागरिदासहिं' मुरलीवारो, ब्रज कौ ठाकुर भाव॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 198)
    • संपादक : वियोगी हरि
    • रचनाकार : नागरीदास
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

    संबंधित विषय

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए