ज़रा याद रखना

zar yaad rakhna

कुँअर बेचैन

कुँअर बेचैन

ज़रा याद रखना

कुँअर बेचैन

और अधिककुँअर बेचैन

    ये मासूम सुबहें

    ये शामें सुहानी

    ज़रा याद रखना, यहाँ की कहानी।

    ये पेड़ों के झुरमुट ये अनजानी राहें

    हमें देखती ये शहर की निगाहें

    मिले थे यहीं पर कभी आग-पानी।

    ज़रा याद रखना, यहाँ की कहानी।

    ये सूरज की किरणों की ठंडक नई-सी

    ये सुबहें तुम्हारी तरह सुरमई-सी

    महकती हुई ये नई रातरानी।

    ज़रा याद रखना, यहाँ की कहानी।

    ये छू-छू के फूलों को फूलों-सा खिलना

    ये आँखों में हँसते इशारों का मिलना

    ये साँसों की नदिया की बहती रवानी।

    ज़रा याद रखना, यहाँ की कहानी।

    ये बातों ही बातों में लड़ना-झगड़ना

    ये चुपके से आँसू का आँखों में चढ़ना

    ये होंठों पे आती हँसी फिर सुहानी।

    ज़रा याद रखना, यहाँ की कहानी।

    कहाँ से चले थे कहाँ गए हैं

    ये मंज़र हमें आज फिर भा गए हैं

    नई-सी लगी है जगह हर पुरानी।

    ज़रा याद रखना, यहाँ की कहानी।

    भले ही हमें तुम कभी भूल जाना

    मगर है क़सम तुम हमें याद आना

    ये मैं कह रहा आँसुओं की ज़ुबानी।

    ज़रा याद रखना, यहाँ की कहानी।

    ये श्रम-बिंदुओं से सुकर्मों की खेती

    ये मानव से मानव के धर्मों की खेती

    सितारों से प्यारी, ये फ़सलें सुहानी।

    ज़रा याद रखना, यहाँ की कहानी।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दिन दिवंगत हुए (पृष्ठ 29)
    • रचनाकार : कुँअर बेचैन
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य निकेतन
    • संस्करण : 2005

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