उत्तर प्रदेश के रचनाकार

कुल: 143

भारतीय नवजागरण के अग्रदूत। समादृत कवि, निबंधकार, अनुवादक और नाटककार।

रीतिसिद्ध कवि। ‘सतसई’ से चर्चित। कल्पना की मधुरता, अलंकार योजना और सुंदर भाव-व्यंजना के लिए स्मरणीय।

रीतिकाव्य की अखंड परंपरा के आरंभिक कवि। ललित-सानुप्रास भाषा और मनोहर वर्णन प्रणाली का निर्वहन करने वाले कवि के रूप में ख्यात।

देव

1696 - 1773

रीतिबद्ध काव्य के आचार्य कवि। अनेक राजाओं के राज्याश्रित। कविता में अर्थ-सौष्ठव और नवोन्मेष को साधने वाले प्रतिभा-पुंज।

धूमिल

1936 - 1975

‘अकविता’ आंदोलन के समय उभरे हिंदी के चर्चित कवि। मरणोपरांत साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत समालोचक, निबंधकार, उपन्यासकार और साहित्य-इतिहासकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

‘मधुशाला’ के लिए मशहूर समादृत कवि-लेखक और अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार और नाटककार।

कबीर

1398 - 1518

मध्यकालीन भक्ति-साहित्य की निर्गुण धारा (ज्ञानाश्रयी शाखा) के अत्यंत महत्त्वपूर्ण और विद्रोही संत-कवि।

हिंदी के अत्यंत लोकप्रिय कवि-गीतकार।

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। कविता के साथ-साथ अपने रेखाचित्रों के लिए भी प्रसिद्ध। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

हिंदी कहानी के पितामह और उपन्यास-सम्राट के रूप में समादृत। हिंदी साहित्य में आदर्शोन्मुख-यथार्थवाद के प्रणेता।

रहीम

1556 - 1627

भक्तिकाल के प्रमुख कवि। व्यावहारिक और सरल ब्रजभाषा के प्रयोग के ज़रिए काव्य में भक्ति, नीति, प्रेम और शृंगार के संगम के लिए स्मरणीय।

रैदास

1398 - 1518

भक्ति की ज्ञानमार्गी एवं प्रेममार्गी शाख़ाओं के मध्य सेतु। मीरा के गुरु।

रसखान

1548 - 1628

कृष्ण-भक्त कवि। भावों की सरस अभिव्यक्ति के लिए ‘रस की खान’ कहे गए। सवैयों के लिए स्मरणीय।

छायावाद के आधार स्तंभों में से एक। 'प्रकृति के सुकुमार' कवि। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार। महाप्राण नाम से विख्यात।

रीतिमुक्त काव्यधारा के महत्त्वपूर्ण कवि। लोकोक्तियों के मधुर प्रयोग के लिए विख्यात।

रामभक्ति शाखा के महत्त्वपूर्ण कवि। कीर्ति का आधार-ग्रंथ ‘रामचरितमानस’। उत्तर भारत के मानस को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले भक्त कवि।

प्रतिष्ठित कहानीकार। तद्भव पत्रिका के संपादक।

सुपरिचित कवि-लेखक। चार पुस्तकें प्रकाशित। 'सदानीरा' के संपादक।

प्रेमचंद युग के समादृत उपन्यासकार-कहानीकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि-कथाकार और नाटककार। जोखिमों से भरा बीहड़ जीवन जीने के लिए उल्लेखनीय।

समादृत उपन्यासकार, कथाकार और नाटककार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

हिंदी के बेहद लोकप्रिय गीतकार। पद्म भूषण समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित।

ईसुरी

1824 - 1909

बुंदेलखंड के लोकप्रिय और समर्थ कवि। फाग के लिए स्मरणीय।

राष्ट्रकवि के रूप में समादृत कवि। ‘भारत भारती’ उल्लेखनीय काव्य-कृति।

समादृत कवि। पाठ्यक्रम से संबद्ध कविताओं के लिए लोकप्रिय।

सुप्रसिद्ध कवयित्री। 'झाँसी की रानी' कविता के लिए स्मरणीय।

नवें दशक के महत्त्वपूर्ण कवि। अपने काव्य-वैविध्य और लोक-संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

कवि और गद्यकार। खड़ी बोली हिंदी के प्रथम महाकाव्य 'प्रिय प्रवास' के रचनाकार।

द्विवेदीयुगीन कवि, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी। पद्मभूषण से सम्मानित।

रीतिकाल के महत्त्वपूर्ण कवि। 'नवरसतरंग' कीर्ति का आधार ग्रंथ। भावों का सरस प्रवाह और गहरी भावुकता, चित्रांकन की मार्मिकता, और चित्रण की संश्लिष्टता के लिए ख्यातनाम।

कृष्णभक्त कवि। पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के अष्टछाप कवियों में से एक। कुंभनदास के पुत्र और गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य।

कृष्णभक्त परंपरा के सुकवि और निपुण संगीतज्ञ। पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के अष्टछाप कवियों में से एक। गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य।

समादृत कवि-कथाकार और संपादक। महादेवी वर्मा और निराला पर लिखीं अपनी किताबों के लिए भी चर्चित।

रीतिकालीन कवि और अनुवादक। कलाकुशल और साहित्यमर्मज्ञ। चमत्कारिता के लिए प्रसिद्ध।

आठवें दशक के प्रमुख कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवयित्री।

आधुनिक हिंदी कविता के प्रमुख कवि और कथाकार। अपने जनवादी विचारों के लिए प्रसिद्ध। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

लोकप्रिय गीतकार। काव्य की लगभग सभी विधाओं में सक्रिय।

सातवें दशक के कवि। कहन में संक्षिप्तता, स्मृति और कविता-पाठ के लिए उल्लेखनीय।

चर्चित कवि-आलोचक और अनुवादक। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित। जन संस्कृति मंच से संबद्ध।

नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापक सदस्य और सभापति। भारतेंदु युग में साहित्यिक योगदान के लिए उल्लेखनीय।

रसलीन

1689 - 1750

रीतिबद्ध कवि। दोहों में चमत्कार और उक्ति-वैचित्र्य के लिए स्मरणीय।

असनी वाले ठाकुर नाम से चर्चित। रीतिबद्ध कवि। कविता में भाव और दृश्य-निर्वाह के लिए स्मरणीय।

समादृत कवि-आलोचक। ‘जायसी’ शीर्षक आलोचना-पुस्तक के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित कवि-आलोचक और अनुवादक। रंगकर्म में भी सक्रिय। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

सामाजिक-राजनीतिक आलोचना के प्रखर कवि-ग़ज़लकार।

नई पीढ़ी के कवि। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

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