उत्तर प्रदेश के रचनाकार

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रीतिकालीन कवि। देवनदी गंगा की स्तुति में लिखित ग्रंथ 'गंगाभरण' से प्रसिद्ध।

आरंभिक दौर के चार प्रमुख गद्यकारों में से एक। खड़ी बोली गद्य की आरंभिक कृतियों में से एक ‘प्रेमसागर’ के लिए उल्लेखनीय।

रीतिकालीन कृष्णभक्त कवि।

वास्तविक नाम कुंदनलाल। सखी संप्रदाय में दीक्षित होकर ललित किशोरी नाम रखा। कृष्ण-भक्ति से ओत-प्रोत सरस पदों के लिए स्मरणीय।

रीतिकाल और आधुनिक काल की संधि रेखा पर स्थित अलक्षित कवि।

रीतिकालीन अलक्षित कवि। कविता सामान्य, शब्द-लाघव और परिपाटी निर्वाह के लिए उल्लेखनीय।

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