उत्तर प्रदेश के रचनाकार

कुल: 518

ग्वाल

1802 - 1867

रीतिबद्ध कवि। सोलह भाषाओं के ज्ञाता। देशाटन से अर्जित ज्ञान और अनुभव इनकी कविता में स्पष्ट देखा जा सकता है। विदग्ध और फक्कड़ कवि।

रीतिकाल और आधुनिककाल के संधि कवि। कृष्ण-भक्ति के पद पुरानी परिपाटी में लिखे। पदों में रूपक और उपमाओं की सुंदर प्रयोग।

रीतिकालीन कवि और अनुवादक। कलाकुशल और साहित्यमर्मज्ञ। चमत्कारिता के लिए प्रसिद्ध।

शुक्ल युग के सुप्रसिद्ध निबंधकार-समालोचक। साहित्य हेतु दर्शन-संबंधी युक्तियों के प्रयोग के लिए उल्लेखनीय।

नई पीढ़ी के कवि-लेखक।

आठवें दशक के कवि। प्रगतिशील लेखक संघ से संबद्ध।

वल्लभ संप्रदाय से संबद्ध। कृष्ण-भक्ति के सरस पदों के लिए ख्यात। साहित्येतिहास ग्रंथों में प्रायः उपेक्षित।

जनवादी विचारों के चर्चित क्रांतिकारी कवि। भोजपुरी में भी लेखन।

द्विवेदीयुगीन प्रमुख उपन्यासकार। जासूसी कथा-लेखन के लिए उल्लेखनीय।

हिंदी के बेहद लोकप्रिय गीतकार। पद्म भूषण समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित।

रीतिग्रंथ रचना और प्रबंध रचना, दोनों में समान रूप से कुशल कवि और अनुवादक। प्रांजल और सुव्यवस्थित भाषा के लिए स्मरणीय।

समादृत उपन्यासकार, कथाकार और नाटककार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

वास्तविक नाम गोपालचंद्र। आधुनिक साहित्य के प्रणेता भारतेंदु हरिश्चंद्र के पिता।

जीवन के व्यावहारिक पक्ष के आलोक में नीति, वैराग्य और अध्यात्म के प्रस्तुतकर्ता। नीतिपरक कुंडलियों के लिए प्रसिद्ध।

द्विवेदी युग के कवि। राष्ट्रप्रेम की कविताओं के लिए प्रसिद्ध।

नई पीढ़ी के श्रेष्ठ कवि-कथाकार। सिनेमा के संसार से भी संबद्ध।

नई पीढ़ी के कवि-लेखक।

सुपरिचित गीतकार।

नई पीढ़ी की कवयित्री। शोध, गद्य-लेखन और अनुवाद-कार्य में भी सक्रिय।

संस्कृत, हिंदी, मैथिली और अँग्रेज़ी के विद्वान एवं शिक्षाशास्त्री। ‘कवि-रहस्य' पुस्तक के प्रसिद्ध।

गंग

1538 - 1625

अकबर के नवरत्नों में से एक। भक्ति और नीति-कवि। सरस हृदय की रमणीयता और अन्योक्तियों में वाग्वैदग्ध्य के लिए प्रसिद्ध।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबद्ध प्रखर पत्रकार, लेखक और सुधारवादी नेता। ‘प्रताप’ पत्रिका का संपादन।

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