मथुरा के रचनाकार

कुल: 30

कृष्णोपासक कवि। चतुष् ध्रुपद-शैली के रचयिता और तानसेन के संगीत गुरु। सखी संप्रदाय के प्रवर्तक।

भरतपुर नरेश सुजानसिंह के आश्रित कवि। काव्य में वर्णन-विस्तार और शब्दनाद के लिए स्मरणीय।

रीतिकाल के आचार्य कवियों में से एक। भरतपुर नरेश प्रतापसिंह के आश्रित। भावुक, सहृदय और विषय को स्पष्ट करने में कुशल कवि।

चरनदास की शिष्या। प्रगाढ़ गुरुभक्ति, संसार से पूर्ण वैराग्य, नाम जप और सगुण-निर्गुण ब्रह्म में अभेद भाव-पदों की मुख्य विषय-वस्तु।

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