राजस्थान के रचनाकार

कुल: 64

भक्तिकाल के निर्गुण संत। दादूपंथ के संस्थापक। ग़रीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना के गुरु। राजस्थान के कबीर।

मीरा

1498 - 1546

भक्तिकाव्य में कृष्ण भक्ति शाखा का चर्चित नाम। राज परिवार में जन्म लेकर भी रजवाड़ों में किए जा रहे स्त्री-शोषण के विरुद्ध खड़ी कवयित्री।

रीतिकाल के अंतिम प्रसिद्ध कवि। भाव-मूर्ति-विधायिनी कल्पना और लाक्षणिकता में बेजोड़। भावों की कल्पना और भाषा की अनेकरूपता में सिद्धहस्त कवि।

दादूदयाल के प्रमुख शिष्यों में से एक। अद्वैत वेदांती और संत कवियों में सबसे शिक्षित कवि।

सुपरिचित कवयित्री। कविताओं में उपस्थित संगीतात्मक वैभव के लिए उल्लेखनीय।

विश्नोई संप्रदाय के संस्थापक। पर्यावरणविद् और वैष्णव भक्ति के पोषक कवि।

जसनाथ

1482 - 1506

गोरखनाथ के शिष्य और जसनाथी संप्रदाय के संस्थापक। वाणियों में सगुण-निर्गुण में अभेद के पक्षधर।

मारवाड़ के राजा और रीतिकालीन कवि आचार्य। अलंकार निरूपण ग्रंथ 'भाषा भूषण' से हिंदी-संसार में प्रतिष्ठित।

सुपरिचित कवि और गद्यकार। ‘एक शराबी की सूक्तियाँ’ के लिए लोकप्रिय।

इस सदी के दूसरे दशक में ठीक से पहचाने गए हिंदी के बेहद महत्त्वपूर्ण कवि-लेखक। बच्चों के लिए भी लेखन।

रज्जब

1567 - 1689

भक्तिकाल के संत कवि। विवाह के दिन संसार से विरक्त हो दादूदयाल से दीक्षा ली। राम-रहीम और केशव-करीम की एकता के गायक।

समादृत कवि। प्रगतिशील लेखक संघ से संबद्ध।

श्री रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक। वाणी में प्रखर तेज। महती साधना, अनुभूति की स्वच्छता और भावों की सहज गरिमा के संत कवि।

रीतिकाल के आचार्य कवियों में से एक। भरतपुर नरेश प्रतापसिंह के आश्रित। भावुक, सहृदय और विषय को स्पष्ट करने में कुशल कवि।

नई पीढ़ी के कवि। गद्य-लेखन और फ़ोटोग्राफ़ी में भी सक्रिय।

नई पीढ़ी के कवि। काव्य-शिल्प के लिए उल्लेखनीय।

जयपुर नरेश सवाई प्रतापसिंह ने 'ब्रजनिधि' उपनाम से काव्य-संसार में ख्याति प्राप्त की. काव्य में ब्रजभाषा, राजस्थानी और फ़ारसी का प्रयोग।

'चरणदासी संप्रदाय' के प्रवर्तक। योगसाधक संत। जीवन-लक्ष्य साधने हेतु कृष्ण-भक्ति के साथ अष्टांग योग पर बल देने के लिए स्मरणीय।

सुपरिचित कवयित्री और गद्यकार।

वल्लभ संप्रदाय से संबद्ध। कृष्ण-भक्ति के सरस पदों के लिए ख्यात। साहित्येतिहास ग्रंथों में प्रायः उपेक्षित।

उत्तर भारत में 'निरंजनी संप्रदाय' के संस्थापक। वाणियों में हठयोग और रहस्यवाद की छाप। भाषा सरल और प्रवाहपूर्ण।

सूफ़ी संत, नीतिकार और रासो-काव्य के रचयिता। ब्रजभाषा पर अधिकार। वस्तु-वर्णन के लिए दोहा और सोरठा छंद का चुनाव।

रासो काव्य परंपरा के अंतिम कवियों में से एक। प्रबंध काव्य 'हम्मीर रासो' से प्रसिद्ध।

रीतिकालीन कवि। वीरकाव्य के रचयिता।

रीतिकालीन कवि। साहित्य शास्त्र के प्रौढ़ निरूपण के लिए विख्यात।

1000 ई. के आस-पास राजस्थान में हुए विशुद्ध रहस्यवादी जैन कवि। भारतीय अध्यात्म में भावात्मक अभिव्यंजना की अभिव्यक्ति के लिए उल्लेखनीय।

‘मिले बस इतना ही’ शीर्षक कविता-संग्रह के कवि। कम आयु में दिवंगत।

भक्तिकाल के निर्गुण संतकवि। वाणियों में प्रेम, विरह, और ब्रह्म की साधना के गहरे अनुभव। जनश्रुतियों में संत दादू के अवतार।

भक्तिकाल। संत गद्दन चिश्ती के शिष्य। लालदासी संप्रदाय के प्रवर्तक। मेवात क्षेत्र में धार्मिक पुनर्जागरण के पुरोधा।

‘निज कवि धातु बचाई मैंने’ शीर्षक कविता-संग्रह के कवि। लोक-संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

धीमे-धीमे, लेकिन अपनी धुन में रहने-रचने वाले हिंदी के अनूठे कवि-लेखक-कलाकार।

भरतपुर नरेश सुजानसिंह के आश्रित कवि। काव्य में वर्णन-विस्तार और शब्दनाद के लिए स्मरणीय।

भक्तिकालीन संत। कृष्णदास पयहारी के शिष्य और नाभादास के गुरु। रसिक संप्रदाय के संस्थापक। शृंगार और दास्यभाव की रचनाओं के लिए स्मरणीय।

रीतिकाल की भक्त कवयित्री। हृदय के मार्मिक भावों से गुंथी सहज-सरल कविताओं के लिए ख्यात।

समादृत कवि-आलोचक। लोक-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

राजस्थानी और हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

नवें दशक के कवि। कहानी, डायरी और निबंध-लेखन में भी सक्रिय।

रीतिकालीन जैन कवि। 'बुद्धि विलास' नामक ग्रंथ के रचनाकार। इनकी काव्य-भाषा राजस्थानी है।

रीतिकालीन अल्पज्ञात कवि। संयोग शृंगार के कामुक प्रसंगों की उद्भावनाओं के लिए स्मरणीय।

आशीष-कुसुमांजलि, लक्ष्मण-प्रशस्ति आदि कृतियों के रचनाकार।

'वागड़ की मीरा' के उपनाम से भूषित। राजस्थान की निर्गुण भक्ति परंपरा से संबद्ध।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

टीकाकार और भक्त कवि।

सुपरिचित हिंदी कवि, कला-आलोचक, शौक़िया छायाकार, संपादक और चित्रकार।

सुपरिचित कवि। गद्य-लेखन में भी सक्रिय।

सुपरिचित राजस्थानी कवि-कथाकार और अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

राजस्थानी और हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि-उपन्यासकार-समालोचक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

इस सदी में सामने आए हिंदी कवि-गद्यकार। भारतीय ज्ञानपीठ के नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित।

राजस्थान के किसान परिवार में जन्म। आडंबरहीन, सरल व सीधी भाषा में ज्ञान मार्ग के गूढ़ तथ्यों को जनमानस के सामने रखा जिससे साधारण व बिना पढ़ा व्यक्ति भी मुक्ति का मार्ग अपना सके।

सुपरिचित कवि। बाल-साहित्य-लेखन में भी सक्रिय।

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