जयपुर के रचनाकार

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रीतिकाल के अंतिम प्रसिद्ध कवि। भाव-मूर्ति-विधायिनी कल्पना और लाक्षणिकता में बेजोड़। भावों की कल्पना और भाषा की अनेकरूपता में सिद्धहस्त कवि।

समादृत कवि। प्रगतिशील लेखक संघ से संबद्ध।

जयपुर नरेश सवाई प्रतापसिंह ने 'ब्रजनिधि' उपनाम से काव्य-संसार में ख्याति प्राप्त की. काव्य में ब्रजभाषा, राजस्थानी और फ़ारसी का प्रयोग।

सुपरिचित कवयित्री और गद्यकार।

रीतिकालीन कवि। वीरकाव्य के रचयिता।

रीतिकालीन कवि। साहित्य शास्त्र के प्रौढ़ निरूपण के लिए विख्यात।

‘मिले बस इतना ही’ शीर्षक कविता-संग्रह के कवि। कम आयु में दिवंगत।

‘निज कवि धातु बचाई मैंने’ शीर्षक कविता-संग्रह के कवि। लोक-संवेदना के लिए उल्लेखनीय।

समादृत कवि-आलोचक। लोक-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

रीतिकालीन जैन कवि। 'बुद्धि विलास' नामक ग्रंथ के रचनाकार। इनकी काव्य-भाषा राजस्थानी है।

सुपरिचित हिंदी कवि, कला-आलोचक, शौक़िया छायाकार, संपादक और चित्रकार।

सुपरिचित कवि। बाल-साहित्य-लेखन में भी सक्रिय।

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

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