पंजाब के रचनाकार

कुल: 6

सुपरिचित कवयित्री और अनुवादक। गद्य-लेखन में भी सक्रिय।

सिक्खों के दसवें और अंतिम गुरु। 'खालसा पंथ' के संस्थापक। 'चंडी-चरित्र' के रचनाकार।

भक्तिकालीन कवि। 'भाषा हनुमन्नाटक' नामक पद्य नाटक के लिए स्मरणीय।

हिंदी और अँग्रेज़ी दोनों में लेखन। सिनेमा में रुचि, शोध और निर्माण।

आदिग्रंथ को सबसे पहले इन्होंने लिपिबद्ध किया। संस्कृत, ब्रजी, पंजाबी और फ़ारसी के ज्ञाता। इनके द्वारा हिंदी भाषा में रचित कवित-सवैयों को गुरु अर्जुनदेव ने 'गुरुबानी की कुंजी' कहा है।

सुप्रसिद्ध पंजाबी कवयित्री। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

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