अमृतसर के रचनाकार

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सिक्ख धर्म के तीसरे गुरु और आध्यात्मिक संत। जातिगत भेदभाव को समाप्त करने और आपसी सौहार्द स्थापित करने के लिए 'लंगर परंपरा' शुरू कर 'पहले पंगत फिर संगत' पर ज़ोर दिया।

पंजाबी भाषा के समादृत कवि-साहित्यकार एवं संपादक। सिख साहित्य में योगदान। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

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