मध्य प्रदेश के रचनाकार

कुल: 27

केशव

1555 - 1617

भक्तिकाल और रीतिकाल के संधि कवि। काव्यांग निरूपण, उक्ति-वैचित्र्य और अलंकारप्रियता के लिए स्मरणीय। काव्य- संसार में ‘कठिन काव्य के प्रेत’ के रूप में प्रसिद्ध।

समादृत कवि। अपने गांधीवादी विचारों और संवेदना के लिए उल्लेखनीय। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

हिंदी के अत्यंत लोकप्रिय कवि-लेखक-नाटककार। अपनी ग़ज़लों के लिए विशेष चर्चित।

सुप्रसिद्ध कवयित्री। 'झाँसी की रानी' कविता के लिए स्मरणीय।

प्रेमचंद युग के उपन्यासकार-कहानीकार-संपादक। ‘मिठाईवाला’ कहानी के लिए चर्चित।

सातवें दशक के समादृत कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

कवि, लेखक और पत्रकार। साहित्य-संसार में 'एक भारतीय आत्मा' के नाम से स्मरणीय।

वास्तविक नाम पृथ्वीसिंह। प्रेम की विविध दशाओं और चेष्टाओं के वर्णन पर फ़ारसी शैली का प्रभाव। सरस दोहों के लिए स्मरणीय।

छायावाद से संबद्ध कवि-लेखक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

हिंदी के समादृत कवि-कथाकार और आलोचक। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

भक्तिकाल के प्रसिद्ध संगीतकार और कवि। राजा मानसिंह तोमर और गुजरात के सुलतान बहादुरशाह के आश्रित।

सातवें दशक के कवि। आलोचना-कर्म में भी सक्रिय रहे।

सुपरिचित कवयित्री और कथाकार।

सुप्रसिद्ध हास्य कवि।

सुप्रसिद्ध आलोचक और विद्वान प्राध्यापक। भक्ति और छाया काव्य पर चिंतन के लिए उल्लेखनीय।

सातवें दशक में उभरे कवि, लेकिन अब अलक्षित।

सुपरिचित कवि, अनुवादक और पत्रकार।

सातवें दशक के अल्पचर्चित-अलक्षित हिंदी कवि-लेखक।

छायावादी कवि और गद्यकार।

मनरंगीर के शिष्य। स्वानुभूति के बल पर आध्यात्मिक आदर्श का निरूपण करने वाले संत कवि।

‘तय तो यही हुआ था’ शीर्षक कविता-संग्रह के कवि। कम आयु में दिवंगत। मरणोपरांत भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

सुप्रसिद्ध हास्य कवि।

सुप्रसिद्ध हास्य कवि।

अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ के कवि। कथा-लेखन में भी सक्रिय रहे।

ओरछानरेश इंद्रजीत सिंह की कृपापात्र नर्तकी और विदुषी। प्रचलित है कि आचार्य केशवदास ने 'कविप्रिया' नामक ग्रंथ प्रवीण को कविशिक्षा देने हेतु रचा था।

रीतिकालीन कवि और रीवां नरेश विश्वनाथसिंह के पुत्र।

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