ब्रह्मांड होना चाहिए

brahmanD hona chahiye

सोमदत्त

सोमदत्त

ब्रह्मांड होना चाहिए

सोमदत्त

और अधिकसोमदत्त

    हमें ताँबा होना चाहिए और जस्ता

    लोहा और एल्यूमीनियम

    पीतल और चाँदी

    सोना और प्लेटिनम

    हीरा और प्ल्यूटोनियम

    हममें से किसी-किसी की

    मोती भी होना चाहिए या खनिज तेल

    डीज़ल या पेट्रोल

    मिट्टी का तेल तक बनने के लिए

    तैयार होना चाहिए

    और कोयला भी

    या शीतल जलधार धधकते भू-खंड की

    या पानी का सोता ऊँचे पर्वत पर

    हमें तारागण होना चाहिए

    अपने अक्षांशों-देशांशों पर पृथ्वी की परिक्रमा करते

    ग्रह होना चाहिए

    सूर्य होने की हद तक हममें से किसी को

    धधकना चाहिए अपनी आत्मा में

    हममें से किसी को चिड़िया होना चाहिए

    क्योंकि उसमें उड़ान है

    किसी को बैल

    क्योंकि उसके पास सींग हैं, चौड़ी पीठ, मज़बूत पुट्ठे

    किसी को वनस्पति होना चाहिए

    क्योंकि उसमें है अमृत की बूँदें परियों के घोंसले

    दूसरों के लिए बनते दरवाज़े और खिड़कियाँ

    पालना और आग

    किसी को

    हाँ हममें से किसी को सर्प भी होना चाहिए

    क्योंकि उसमें विष है विष को काटने वाला

    हममें से किसी को मछली होना चाहिए

    फ़ासफ़ोरस के लिए

    किसी को मृग : कस्तूरी के वास्ते

    किसी को

    मनुष्य होने के बावजूद हम सबको

    चौरासी लाख योनियों की ताक़त जोड़कर

    समरसता हासिल करनी चाहिए

    पृथ्वी की वायु की आकाश पाताल की

    हमें भू-खंड नहीं

    अनंत संभावनाओं से भरा ब्रह्मांड बनना चाहिए

    मिल-जुलकर आपस में

    कितना छोटा होता जा रहा हूँ मैं

    कितना नगण्य

    प्राणियों से स्पंदित इस विराट में

    लेकिन कितना खुला

    कितना प्रवहमान

    ख़ुद को उनके हर विस्मय हर अधीरता से जोड़कर

    घुलता हुआ उनके आत्मीय प्रवाह में!

    स्रोत :
    • पुस्तक : निषेध के बाद (पृष्ठ 130)
    • संपादक : दिविक रमेश
    • रचनाकार : सोमदत्त
    • प्रकाशन : विक्रांत प्रेस
    • संस्करण : 1981

    संबंधित विषय

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए