प्रेम का समाजवाद

prem ka samajawad

अनुराधा सिंह

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प्रेम का समाजवाद

अनुराधा सिंह

और अधिकअनुराधा सिंह

    दलित लड़कियाँ उदारीकरण के तहत छोड़ दी गईं

    उनसे ब्याह सिर्फ़ किताबों में किया जा सकता था

    या भविष्य में

    सवर्ण लड़कियाँ प्रेम करके छोड़ दी गईं

    भीतर से इस तरह दलित थीं

    कि प्रेम भी कर रही थीं

    गृहस्थी बसाने के लिए

    वे सब लड़कियाँ थीं

    छोड़ दी गईं

    दलित लड़के छूट गए कहीं प्रेम होते समय

    थे भोथरे हथियार मनुष्यता के हाथों में

    किताबों में बचा सूखे फूल का धब्बा

    करवट बदलते ज़माने की चादर पर शिकन

    गृहस्थी चलाने के गुर में पारंगत

    बस प्रेम के लिए माक़ूल नहीं थे

    सो छूट गए

    वे निबाहना चाहते थे प्रेम

    लड़कियाँ उनसे पूछना ही भूल गईं

    लड़कियाँ उन्हीं लड़कों से प्रेम करके घर बसाना चाहती थीं

    जो उन्हें प्रेम करके छोड़ देना चाहते थे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुराधा सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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