शांत जल पर ख़ाली नाव

shant jal par khali naw

वंशी माहेश्वरी

वंशी माहेश्वरी

शांत जल पर ख़ाली नाव

वंशी माहेश्वरी

और अधिकवंशी माहेश्वरी

    उसकी इच्छा इतनी भर है

    ख़ुद का घर-द्वार हो

    जाने से आने तक के इंतज़ार में

    पारिवारिक आँखें

    दूर-दराज़ तक फैली रहें

    उसकी इच्छा का क़द

    भर दुपहरी में तनी

    ख़ुद की परछाईं की तरह है

    उसका अल्पसंख्यक विस्मय

    ठीक वैसा है जैसे

    हरे-भरे वृक्ष में

    कहीं अदृश्य सूखा पत्ता थरथराता है

    उसकी चीज़ों की स्वायत्तता

    इतनी भर है कि

    वे मतलब के नतीजे तक आते-जाते

    अपनी पहचान बना सकें

    उसकी धारणा

    हारी-थकी संभावना के नज़दीक

    मुमकिन के ख़ाली स्थान भरने का

    जोख़िम उठाती है

    लंबे समय से?

    यह तंग सिलसिला

    उसके साथ टोह लेता चल रहा है

    उसका मर्म

    चौबीसों समय उपस्थित रहता है

    और आस-पास छूने की वारदातें घटती रहती हैं

    काँच जैसी निर्मल आँखों में डर बहता है

    उसका विश्वास

    नींद में सोए आदमी के

    स्वप्न की सुबह है

    इतनी समृद्ध

    शिकायतों के बाद भी

    उसकी निर्विकार सहनशक्ति

    शांत जल पर ख़ाली नाव है

    स्रोत :
    • रचनाकार : वंशी माहेश्वरी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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