उसका अपना आप

uska apna aap

सुधा अरोड़ा

सुधा अरोड़ा

उसका अपना आप

सुधा अरोड़ा

और अधिकसुधा अरोड़ा

    अकेली औरत,

    चेहरे पर मुस्कान की तरह

    गले में पेंडेंट पहनती है

    कानों में बुंदे,

    उँगलियों में अँगूठियाँ

    और इन आभूषणों के साथ

    अपने को लैस कर

    बाहर निकलती है

    जैसे अपना कवच साथ लेकर निकल रही हो

    देखती है

    कि उसके कान बुंदों में उलझ गए,

    उँगलियों ने अँगूठियों में अपने को

    बंद कर लिया

    गले ने कस कर नेकलेस को थाम लिया...

    पर यह क्या...

    सबसे ज़रूरी चीज़ तो वह

    साथ लाना भूल ही गई

    जिसे इन बुंदों, अँगूठियों और नेकलेस

    से बहला नहीं पाई!

    उसका अपना आप

    जिसे वह अलमारी के

    किसी बंद दराज़ में ही छोड़ आई...

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुधा अरोड़ा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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