बेरोज़गारों को इश्क़ करना चाहिए
जीना भी एक तरह का काम है
और मरना भी
हम जो हैं वह होना भी
और बने रहना भी
ज़रूरी कामों की फ़ेहरिस्त में ऊपर कहीं, बहुत ऊपर आता है
उदास शामों को नदी किनारे बैठना
पैसे कमाने के लिए अपनी देह को बंदर की देह बना देना ज़रूरी नहीं है पर मजबूरी ज़रूर है
अपने पेट को जिलाए रखना और अपनी आत्मा को मरने न देना दुनिया के कठिन कामों में से एक है
तवायफ़ों के माथे पर पीड़ाहारी बाम लगाना सबसे पुण्य काम
गाय की पूँछ पकड़ कर स्वर्ग के बारे में सोचना निरर्थक काम है
और कौए में अपने पूर्वजों को देखना पछतावे से भरा हुआ काम
साँस लेना उतना भी स्वाभाविक नहीं जितना लगता है
झूठ बोलना उतना भी आसान नहीं
कहीं जाना और वहाँ से समूचे लौट आना लगभग असंभव है
कहीं जाना और वहीं का हो जाना पूर्णत असंभव
संभव है मरने के बाद भी आप बचे रहें
और यह भी कि जीते जी जीवन को तरसते रहें
कविता लिखना कैसा काम है?
इसका जवाब कवियों के पास नहीं
प्रेमियों को पता है कविताओं का महत्त्व
और तानाशाहों को उसकी ताक़त
जनता इन सब चीज़ों से अनजान है
एक किसान की तरह घर लौटने
और एक मज़दूर की तरह सोने से सुंदर कोई काम नहीं
भौरों के पास जो काम है उसे मनुष्यों को करना चाहिए था
मनुष्यों ने जो काम किया है उसे इस धरा पर कोई जीव नहीं करना चाहेगा
जिसके पास कोई काम नहीं उसे दर्पण हो जाना चाहिए
बेरोज़गारों को इश्क़ करना चाहिए
और अगर इश्क़ न कर सकें तो इश्क़ जैसा कुछ कर लेना चाहिए
शिकारी को एक बच्चे में बदल जाना चाहिए
और उसके तीर कमान को काग़ज़ की नाव में
मैं एक अंतहीन स्वप्न में बदल रहा हूँ
जबकि मुझे अपने हिस्से के यथार्थ से टकरा जाना चाहिए था
- रचनाकार : अनुराग अनंत
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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