प्रार्थना का समय

pararthna ka samay

जसिंता केरकेट्टा

जसिंता केरकेट्टा

प्रार्थना का समय

जसिंता केरकेट्टा

और अधिकजसिंता केरकेट्टा

    हमें बताया गया लंबे समय से

    ग़रीबी, भुखमरी और बीमारी

    ईश्वर पर यक़ीन करने का परिणाम है।

    हमने पूछा

    इस भीड़ में क्यों

    सिर्फ़ मुठ्ठी भर लोगों के पेट में

    अच्छी फ़सल का

    अच्छा हिस्सा फँसा रहता है?

    उन्होंने कहा :

    वे इस धरती के चुने हुए लोग हैं।

    कई लोगों का खाना

    कुछ लोगों के पेट में

    कई दिनों तक अटका रहता है

    यह 'ईश्वर' का चमत्कार है

    और शेष लोग?

    शेष लोगों की बीमारी, भुखमरी

    अपनी आस्था पर खरे होने की सज़ा है

    जब समय था

    ख़ुद पर हो रहे

    अन्याय के ख़िलाफ़

    एक साथ खड़े रहें

    तब हज़ारों की संख्या में

    हम जंगलों से निकल

    बाल-बच्चों सहित

    प्रार्थना-सभा की ओर मुड़ गए

    बैठे रहे दिन भर

    बोलने वालों का मुँह ताकते

    पीढ़ियाँ बदल गई पर हालात नहीं बदले

    तब हमसे कहा गया

    बदलाव त्याग माँगता है

    और हमने गाँठ के रुपए के साथ

    अपनी हासा-भाषा सब त्याग दिए!

    सभा चीख़ती रही

    चमत्कार ऊपर से होते हैं

    हमने अपनी बंद आँखें ऊपर उठा लीं

    और बीमारी की जड़ें नीचे रह गईं

    हाथ जोड़कर बदलाव की प्रार्थना की

    इस तरह हमने सीखा

    बिना सवाल किए कैसे जोड़े जाते हैं हाथ

    हम बँट गए कई हिस्सों में

    जब आधे लोग सड़क पर उतरते

    तब हम प्रार्थनाएँ करते

    और भविष्य की तरफ़ देखते

    क्योंकि हमें बताया गया

    उधर ही कहीं स्वर्ग है।

    एक दिन हम हार कर

    इस पर बात करने को जुटे

    कि अब और नहीं

    हमें उठ खड़ा होना चाहिए

    एक साथ

    अपने हालात के ख़िलाफ़

    अभी इसी वक़्त, इसी समय

    कि भविष्य यहीं है

    इसी क्षण, इसी घड़ी...

    कि तभी

    अलग-अलग दिशाओं से

    अलग-अलग आवाज़ में

    घंटे बज उठे

    यह कहते हुए

    कि जुटान ख़त्म हो

    यह प्रार्थना का समय है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : जसिंता केरकेट्टा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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